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स्वच्छता ही सेवा अभियान

15/09/2018 - 02/10/2018
Gorakhpur
Swacchata hi Seva Abhiyaan

Swacchata hi Seva


स्वच्छ भारत मिशन का लक्ष्य 2 अक्तूबर, 2019 तक स्वच्छ और खुले में शौच से मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करना है। इस लक्ष्य के कारण शौचालयों के निर्माण में बढ़ोतरी हुई है और इसका उपयोग करने वालों की संख्या भी बढ़ी है।

स्वच्छ भारत मिशन के लिये वित्तीय आवंटन में निरंतर वृद्धि हुई है। यह 2014-15 में 2,850 करोड़ रुपए था जो 2015-16 में बढ़कर 6,525 करोड़ रुपए हो गया।
2017-18 के लिये यह आवंटन 14,000 करोड़ रुपए निर्धारित किया गया है।

पिछले तीन वर्षों में स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शौचालयों का निर्माण हुआ है। खुले में शौच से मुक्त गाँवों की संख्या बढ़ गई है।
व्यक्तिगत शौचालयों का कवरेज़ 2014 के 42 प्रतिशत से बढ़कर 2017 में 64 प्रतिशत हो गया है। पाँच राज्यों (सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, केरल, उत्तराखंड और हरियाणा) ने अपने को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया है।

अब तक देश के पांच राज्य, दो लाख से ज़्यादा गाँव और कुल 147 ज़िले खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं।
अक्तूबर, 2019 तक खुले में शौच से मुक्त भारत बनाने का लक्ष्य प्राप्त करने के संदर्भ में अब तक हुई प्रगति उत्साहवर्धक है।
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) शुरू होने के ढाई साल के अंदर राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छता का दायरा 42% से बढ़कर 64% से अधिक हो गया है।
बुज़ुर्गों, दिव्यांग जनों, छोटे बच्चों और महिलाओं की मासिक धर्म की विशेष ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए स्वच्छ भारत मिशन के तहत सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों को डिज़ाइन किया गया है।

इस मिशन की निगरानी और मूल्यांकन की नई प्रणाली प्रारंभ की गई है। ग्रामीण भारत के लिये किए गए स्वच्छ सर्वेक्षण से यह पता चला है कि हिमाचल प्रदेश का मंडी तथा महाराष्ट्र का सिंधुदुर्ग भारत के सबसे स्वच्छ ज़िले हैं।
स्वच्छ सर्वेक्षण में 22 पर्वतीय ज़िलों और 53 मैदानी क्षेत्रों को शामिल किया गया था। राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी के लिये निजी कंपनियों की सेवाएँ ली गईं, जिन्होंने स्वच्छता कवरेज़ के संदर्भ में नमूना-आधार का उपयोग किया और पूरे देश में खुले में शौच की वास्ताविक स्थिति का आकलन किया।
पूरे देश में 92,000 घरों और 4,626 गाँवों को शामिल करते हुए एक विशाल सर्वेक्षण किया गया। इसके अतिरिक्त गंगा के किनारे स्थित 200 गाँवों का भी सर्वेक्षण किया गया।
अभिताभ बच्चन को स्वच्छ भारत मिशन का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया और लोगों को प्रेरित करने के लिये सचिन तेंदुललकर व अक्षय कुमार जैसे लोकप्रिय व्यक्तियों को भी सहभागी बनाया गया।
लोगों को जागरूक करने के लिये सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्मों का उपयोग किया गया। एक न्यूज़लेटर एवं ‘स्वच्छता समाचार पत्रिका’ भी प्रकाशित की जा रही है। स्वच्छ भारत मिशन के विषय पर आधारित बॉलीवुड फिल्म, ‘टॉयलेट—एक प्रेम कथा’ ने भी बॉक्स ऑफिस पर काफी सफलता हासिल की है।
स्वच्छ भारत मिशन से केन्द्रीय मंत्रालय, राज्य सरकार, स्थानीय संस्थाएँ, गैर-सरकारी और अर्ध-सरकारी एजेंसियाँ, उद्योग जगत, गैर-सरकारी संगठन, धार्मिक समूह एवं मीडिया आदि कई हित समूह जुड़े हुए हैं।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत की गई अन्य पहलें

अंतर-मंत्रिस्तरीय परियोजनाओं में स्वच्छता पखवाड़ा, नमामि गंगे, स्वच्छता कार्य योजना, स्वच्छ-स्वस्थ-सर्वत्र अभियान, स्कूल स्वच्छता अभियान, आंगनवाड़ी स्वच्छता अभियान, रेलवे स्वच्छता जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।
अंतर-क्षेत्रीय सहयोग में स्वच्छ विख्यात स्थान, उद्योग जगत की भागीदारी, परस्पर धर्म सहयोग, मीडिया अनुबंध और संसद अनुबंध जैसे कार्य शामिल हैं।
76 केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में स्वच्छता कार्य योजना को विकसित किया गया है।
इंटरनेट आधारित पोर्टल बनाए गए हैं ताकि प्रगति की निगरानी की जा सके और कार्यान्वयन स्थिति को रेखांकित किया जा सके।
महिला स्वच्छग्राहियों की नियुक्तियाँ की गईं और कार्यक्रम में महिलाओं की साझेदारी बढ़ाने के लिये ‘स्वच्छ शक्ति’ पुरस्कारों की घोषणा की गई।