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मगहर

दिशा
श्रेणी ऐतिहासिक, धार्मिक

राष्ट्रीय राजमार्ग पर बस्ती से गोरखपुर  के रास्ते में  सन्तकबीर नगर में  मगहर  नगर पंचायत है जहां  स्थित है कबीर का निर्वाण स्थल।    जनश्रुति है कि मगहर में भीषण अकाल के समय मगहर पहुंच कर उन्होंने एक जगह धूनी रमाई। वहां से चमत्कारी ढंग से एक जलस्रोत निकल आया, जिसने धीरे-धीरे एक तालाब का रूप ले लिया। तालाब से हट कर उन्होंने आश्रम की स्थापना की। यहीं पर जब उन्होंने अपना शरीर छोड़ने का समय निकट आने पर संत कबीर ने अपने शिष्यों को इसकी पूर्वसूचना दी। शिष्यों में हिन्दू और मुसलमान दोनों थे।  हिन्दू चाहते थे कि कबीर का शव जलाया जाए और मुसलामान उसे दफनाने के लिए कटिबध्द थे। पर सारे विवाद के आश्चर्यजनक समाधान में शव के स्थान पर उन्हें कुछ फूल मिले । आधे फूल बांटकर उस हिस्से से हिन्दुओं ने आधे ज़मीन पर गुरु की समाधि बना दी और मुसलमानों ने अपने हिस्से के बाकी आधे फूलों से मक़बरा तथा आश्रम को समाधि स्थल बना दिया गया।

कबीर की मजार और समाधि मात्र सौ फिट की दूरी पर अगल-बगल में स्थित हैं। समाधि के भवन की दीवारों पर कबीर के पद उकेरे गए हैं। इस समाधि के पास एक मंदिर भी है जिसे कबीर के हिन्दू शिष्यों ने सन् 1520 ईस्वी में बनवाया था।  मजार का निर्माण समय सन् 1518 ईस्वी का बताया जाता है।   मगहर में हर साल तीन बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिनमें 12-16 जनवरी तक मगहर महोत्सव और कबीर मेला, माघ शुक्ल एकादशी को तीन दिवसीय कबीर निर्वाण दिवस समारोह और कबीर जयंती समारोह के अंतर्गत चलाए जाने वाले अनेक कार्यक्रम शामिल हैं। मगहर महोत्सव और कबीर मेला में संगोष्ठी, परिचर्चाएं तथा चित्र एवं पुस्तक प्रदर्शनी के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं । कबीर जयंती समारोह में अनेक कार्यक्रमों के माध्यम से संत कबीर के संदेशों का प्रचार-प्रसार किया जाता है।

फोटो गैलरी

  • मगहर, कबीर धूनी
  • संत कबीरदास

कैसे पहुंचें:

हवाईजहाज द्वारा

मगहर जाने के लिये गोरखपुर सबसे नजदीक हवाई अड्डा है ।

ट्रेन द्वारा

मगहर में एक छोटा रेलवे स्टेशन है पर यहां कुछ ही रेलगाड़ियां रुकती हैं । अन्य नजदीकी रेलवे स्टेशन गोरखपुर व बस्ती हैं।

सड़क मार्ग द्वारा

गोरखपुर व बस्ती से सड़क मार्ग द्वारा मगहर जा सकते हैं, बस एवं टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं।