संस्कृति और विरासत
उत्सव और मेले
हिन्दू समुदाय :-
जिले में लगभग सभी हिंदू त्योहार मनाए जाते हैं।
राम नवमी के दिन रामायण का पाठ कर और भक्ति संगीत और प्रवचन आदि का आयोजन किया जाता है। कुछ मंदिरों में राम की मूर्ति एवं पालना पर प्रदर्शित होता है। शीतला अष्टमी चैत्र के पहले पखवाड़े में पड़ता है, जिसमे शीतला देवी माँ की पूजा होती है कुछ लोग उस दिन व्रत रहते हैं। यहाँ सावित्री वाट पूजा भी महिलाओं द्वारा की जाती जिसमे विवाहित महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा कर अपने पति के जीवन और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती है, मान्यता है कि सावित्री की भक्ति जिसने अपने पति सत्यवान को यमराज से बचाया था ।
नागपा पंचमी श्रावण मास के पांचवें दिन मनाया जाता है। यह विशेष रूप से लड़कियों के लिए जिले में एक महत्वपूर्ण बरसात के मौसम त्योहार है। विवाहित बेटियां इस त्यौहार के लिए अपने माता-पिता के घरों पर आती हैं । झूले लगा के गाने गाते हैं जिन्हें कजरी कहते हैं। वास्तव में महिलाओं, बच्चों और पुरुषों द्वारा इन लोक गीतों को गायन के साथ झुकाव, सावन और भादों के दो बरसात के महीनों में राज्य के पूरे पूर्वी भाग में लोकप्रिय है। इस मौके पर कई जगहों पर मेले और कुश्ती के मुकाबले भी आयोजित किए जाते हैं ।
रक्षा बंधन त्योहार जो भाई, बहन का त्यौहार है में बहन की रक्षा करने की प्रतिज्ञा करता है। बहन भाई के दायें कलाई पर रंगीन धागे को बांधता है और इस तरह भाई बहन की रक्षा के लिए प्रतिज्ञा लेता है। कुछ स्थानों पर ब्राह्मण या पंडित या कर्मचारी भी राखी को अपने यजमान या अधिकारियों को बाँधते हैं ।
हरतालिका तीज भी जिले का एक प्रसिद्द त्यौहार है जब महिला अपने पति के कल्याण के लिए उपवास रखती है।
कृष्णभी यहाँ धूम धाम से मनाई जाती है। श्रद्धालु प्रसाद के खाने के दौरान मध्यरात्रि में सही कृष्णा के जन्म के समय तक पानी न लेते हुए व्रत रखते हैं । कृष्ण के सभी मंदिरों को सजाया जाता है। गुड़िया और खिलौने, मूर्तियों को सजा कर कृष्ण के जीवन की घटनाओं का चित्रण करते हैं। इन्हें झांकी कहा जाता है जिसका अर्थ है शुभ घटना की झलक। लोग घरों से निकल मंदिरों में दर्शन करते हैं । कृष्ण और उनके जीवन से संबंधित भक्ति गीतों का गायन इस त्यौहार की एक विशेष विशेषता है।
जनपद में ऋषि अनंत की स्मृति अनंत चतुर्दशी भी मनाया जाता है।
देवी दुर्गा की पूजा के नवरात्रि उत्सव के साथ दशहरा या विजय दशमी भी यहाँ धूम धाम से मनाया जाता है जो राम की जीत का स्मरण कराता है और रावण और महिषासुर की मृत्यु को दर्शाता है । जिले में शहर में कई स्थानों पर रामलीला और दुर्गा पूजा समारोह आयोजित किए जाते हैं। साहित्यिक और अन्य कार्यक्रमों के अलावा कई रामलीला का प्रदर्शन भी आयोजित होता हैं। बंगाली समुदाय इन दस दिनों का जश्न मनाता है-वे नए कपड़े पहनते हैं। बहुत से लोग नौ दिन गैर-अनाज आहार खाकर देवी माँ का व्रत करते है। जिला में कई जगहों पर रामलाली जुलूस बहुत उत्साह के साथ निकाले जाते हैं। दशहरा के बाद कार्तिक के अंधियारे पखवाड़े का चौथा दिन करवा चौथ कहलाता है, विवाहित स्त्रियां अपने पतियों की लम्बी आयु के लिए इस त्यौहार को उल्लास के साथ पूरा दिन व्रत रखकर चन्द्रमा को अर्ध्य देकर व्रत मनाती हैं ।
कार्तिक का 13 वां दिन धनतेरस कहलाता है, जब दीवाली उत्सव शुरू होता है और लोग धनतेरस के दिन गहने और धातु के बर्तन खरीदते हैं। दीवाली के दिन लोग घरों में साफ सफाई कर रात में लक्ष्मी जी की पूजा करते है घरों में पकवान बनाये जाते है और घरो को मिटटी के दियों से सजाया जाता है।
इसी प्रकार यहाँ पर होली भी हर्षोल्लास के साथ मन्ये जाति है जिसमे सभी धर्मो के लोग शामिल होकर एक दुसरे से गले मिलते हैं और गुलाल / रंग लगते हैं ।
यहाँ पर समय समय पर कई मेलों का भी आयोजन भी होता है जेसे यहाँ का मकर संक्रांति पर खिचड़ी मेला गोरखनाथ मंदिर में लगता है और करीब एक माह तक चलता है , आस पास के जिलों एवं नेपाल से लोग यहाँ गोरखनाथ बाबा को खिचड़ी चढाते हैं ।
मुस्लिमम समुदाय:-
मुसलमानों के त्यौहार ईद, शब्बे बारात भी यहाँ धूम धाम से मनाया जाता है । 40 दिन का रोज़ा, शाम को बाजारों में चल पहल रहती है बाज़ारों को सजाया जाता है महिलाएं ईद की खरीददारी करते हुए दिखती हैं। मई माह में सैयद सलार मेले का आयोजन यहाँ होता है ।
सिख समुदाय :-
गुरुपर्व के दिन गुरूद्वारे पर सिखों द्वारा पूजा अरदास करना और लंगर की व्यवस्था रहती है । जनवरी की 13 तारीख को लोहड़ी भी यहाँ हर्षोल्लास के साथ मनायी जाती है ।
क्रिश्चियन समुदाय :-
क्रिश्चियन भी यहाँ 24 व 24 दिसम्बर को जनपद के सभी चर्च को सजाकर इस त्यौहार पर कैरल्स गा कर प्रभु यीशु को याद करते है। ईस्टर भी इनके द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है।